सुनहरी रोशनी पिंजरे में हल्की- हल्की हिल रही थी. चारों खडे थे, पर हर किसी की साँसें भारी हो रही थीं. कबीर ने धीरे- धीरे कदम बढाए, जैसे हर कदम उनके डर और मोहब्बत के बीच की खाई को और गहरा कर रहा हो.पहला सवाल, कबीर ने कहा, उसकी आवाज में रहस्य और गंभीरता दोनों झलक रहे थे, तुम्हें अपना सबसे बडा डर चुनना होगा. और वही डर, तुम्हें अपने असली चेहरे से मिलाएगा।सैरिन की आँखों में झलकता डर और मोहब्बत का मिलाजुला भाव उसे और भी नाजुक बना रहा था. उसने जेरेफ की ओर देखा, लेकिन जेरेफ खुद अपनी