बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 66

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chapter 66 जब संवि शेखर जी के आंखों में उदासी देखती है तो वह अपनी आंखों को गोल-गोल घूमकर अपने एक उंगली को अपनी होठों पर टाइप करते हुए कुछ सोच रही थी। संवि कि यह हरकत देखकर शेखर जी को अनुज और प्रिया की याद आती है क्योंकि जब भी अनुज या प्रिया दोनों को भी कुछ सोचना होता तो वह भी से ऐसे ही करते थे। तभी संवि के दिमाग में कुछ आता है तो वह एक चुटकी बजाती है और जल्दी से बहर भाग  जाती है।शेखर जी को तो समझ नहीं आया कि संवि ऐसे क्यों भाग है। ab aage ‌कुछ ही