chapter 65 वह दोनों जैसे तैसे कर कर अपने उदासी को अपने चेहरे पर नहीं लाते हैं और वहां से चले जाते हैं क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि उनके आंखों में नमी कोई देख सके।पर खुशी की अर्नब जी और उर्मिला जी तीनों ने अपने बेटो की आंखों में गहरी उदासी देखी थी। जिसे देखकर उनके भी दिल भर आया था। पर वह कुछ नहीं कर सकते थे। ab aage खुशी अरनव और उर्मिला जी के अलावा कोई और भी था जिसने रमन और शेखर जी के चेहरे पर उदासी देखी थी।वह इंसान भी उन दोनों के पीछे-पीछे चला गया। शेखर जी घर