बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 64

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लक्ष्मी जी बिना हिचकी चाय इच्छा है तरुण की शादी के सारे रस्मों की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार होती है। वह चाहे कितनी भी लालची हो पर उन्होंने तरुण और वीर को भी अपने बच्चों जैसा ही प्यार दिया है। वह तरुण और वीर से यशी और तारा जैसा या जितना प्यार नहीं करती पर उनसे प्यार तो करती है। और उनका भी कोई बेटा नहीं है तो वह तरुण के शादी की रस्मों को निभाने के लिए तैयार थी।उनके बात सुनकर जया जी भी बहुत खुश होती है। अब आगेकपाड़िया मेंशन आज की राखी (रक्षा बंधन) कपाड़िया खानदान के लिए