संस्कृति का पथिक - 4

संस्कृति का पथिकपार्ट-4भोपाल में एक शांत रात बिताने के बाद, सुबह की पहली किरणों के साथ मैंने अपनी यात्रा फिर शुरू की। मन में हल्की उत्सुकता और आत्मा में नया जोश था — आज की मंज़िल थी सलकनपुर जो भोपाल से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं मुझे रात में ही मन में माँ के आह्वान का एहसास हो चुका था   सुबह का समय था। सूरज की किरणें जैसे भोपाल की गलियों में स्वर्ण रेखाएँ खींच रही थीं। मैंने होटल से प्रस्थान किया — मन में भक्ति का उत्साह, आँखों में माँ के दर्शन की प्रतीक्षा। रास्ता जैसे-जैसे