यह उस लड़की की कहानी है जिसके बचपन का सपना टूट गया जिससे पूरी तरह वो भी टूट गयी वो लड़की बचपन से ही बहुत होशियार थी उसका बचपन से सिर्फ एक ही सपना रहा था कि वो एक शिक्षिका बने वो छोटी थी तब खुद ही पढ़ा लेती थी जैसे विद्यालय में पढ़ाते हुए उसने देखा था ओर खुद ही उत्तरपुस्तिका भी चेक कर लेती थी यह बचपन का खेल कब उसका सपना बन गया पता भी नही चला उसका हमेशा से यही था की जब उसकी दसवीं हो जायेगी उसके बाद वो कला विषय लेगी उसने वो लिया