भीड़-भाड़ भरी कैंटीन में, कार्तिक एक कोने की खिड़की के पास बैठा था।उसकी नीली गहरी आँखें किताब के पन्नों पर टिकी हुई थीं, पर ध्यान कहीं और था।थोड़ी दूरी पर आर्यन और उसके दोस्त, ज़ोर-ज़ोर से हँसते हुए बातें कर रहे थे।कभी-कभी उनकी निगाहें चुपके से कार्तिक की ओर उठ जातीं… और वहीँ ठहर जातीं।कार्तिक ने पन्ना पलटा, होंठों पर हल्की-सी मुस्कान आई।वो सब कुछ देख रहा था, सब कुछ सुन रहा था…लेकिन उसके हावभाव में ज़रा भी बेचैनी नहीं थी।जैसे किसी शतरंज के खिलाड़ी को पता हो,कि सामने वाला कौन-सा मोहरा चलने वाला है—और उसने पहले ही उसके जवाब की योजना बना रखी हो।आर्यन की