अनकही मोहब्बत - 3

कभी-कभी रूहें वक़्त से नहीं, मोहब्बत से बंधी रहती हैं…और जब कोई जाता है, तो आधा दिल ज़िंदा रह जाता है।”राघव के जाने के बाद मोहम्मदपुर की हवा भी भारी हो गई थी।इमामबाड़े के पास जब लोग उसकी लाश देखे, तो किसी ने उसे हाथ तक नहीं लगाया।कहा गया — “नीच जात था, खुदा का नाम भी नहीं जानता था।”मगर किसी ने यह नहीं सोचा कि उसने अपनी जान उसी इमामबाड़े की दीवार के नीचे दी थी,जहाँ उसने पहली बार मोहब्बत देखी थी।आयरा ने जब यह सुना, तो उसकी आँखों से आवाज़ निकल गई —बस होंठ काँपे, और वो गिर