रिया ने हवेली की पुरानी अलमारी से एक आईना निकाला। धूल हटाते ही उस पर दरारें उभर आईं, और उनमें उसे अपनी माँ संध्या का चेहरा दिखाई दिया।वो चौंक गई — "अम्मी… यहाँ?"आईने से धीमी आवाज़ आई, “रिया… वो जो कहानी तू पढ़ रही है, उसमें तेरा नाम भी लिखा है।”रिया का दिल जैसे थम गया। उसने डायरी खोली — आख़िरी पन्ने पर लिखा था:“अगर ये सच किसी को मिले, तो जान लेना कि ज़ोया का गुनाह उसका नहीं… मेरा था।”अचानक हवा का झोंका आया, और कमरे की लाइटें बुझ गईं।दीवार पर एक परछाई बनी — वही अर्जुन की रूह।अर्जुन