अगली रात …जान्हवी विला के गेट पर खड़ी आरोही के हाथ कांप रहे थे।“क्या सच में मुझे सारे जवाब यहीं मिलेंगे?” उसने खुद से पूछा।गेट खुलते ही ठंडी हवा के साथ पुराने राज जैसे आरोही को छू कर जा रहे थे, आरोही को वो खौफनाक रात याद आ रही,, ठीक इसी तरह उस रात वो आदित्य के पास आई थी,, अपने सवालो के जवाब मांगने,, पर उस रात आदित्य को हमेशा के लिए खो देने का गम आज भी उसकी आंखो साफ दिख रहा था,, विला पुरी तरह सुनसान था,, आरोही धीरे धीरे आगे बढ रही थी…उसे वो दिन याद आ रहा