भारत की रचना - 21

भारत की रचना / धारावाहिक                   इक्कीसवां भाग       फिर भोजन खाने इत्यादि से निवृत होने के पश्चात, जेलर ने जब फिर से अपनी बात दोहराई और रचना से आग्रह किया, तो रचना ने भी उसको सब-कुछ बता दिया. उसने जेलर से, क्रम से एक-एक बात स्पष्ट कर दी. उसने  उसको बताया कि, कैसे वह किसी की नाजायज़ सन्तान होने का कलंक अपने माथे पर लिए फिरती है. किस प्रकार उसका बचपन श्रीमती राय के कंधों का बोझ बनकर पला था. किस तरह से वह जवान हुई. किन-किन परिस्थितियों में वह मां-बाप के के