अगली सुबह कियारा जल्दी उठ गई थी। कमरे में खिड़की से आती धूप हल्के परदे के पार उसकी डायरी पर गिर रही थी — वही डायरी जिसमें पिछली रात उसने लिखा था,> “कुछ नज़रें बोलती नहीं, पर सब कह जाती हैं…”वो पन्ना अब भी खुला था, पर कियारा के मन में सवालों की भीड़ थी।क्या अयान भी कुछ महसूस कर रहे थे? या वो सिर्फ़ उसकी कल्पना थी?वो मुस्कुराई, फिर खुद से बोली, “नहीं कियारा… तुम बस ज़्यादा सोच रही हो।”ब्रेकफास्ट हॉल में जब वो पहुँची, अयान पहले से मौजूद थे। सफ़ेद शर्ट, घड़ी की चमक, और वही शांत नज़रिया