तेरा लाल इश्क - 15

सभी आखें मुंह फाड़े हैरानी से दरवाजे की ओर देख रहे थे,,,क्योंकि कृषभ दो लोगो को अपने कंधे पर उठाए खड़ा लड़खड़ा रहा था,,, दाई ओर आशना थी तो बाई ओर वो घायल मीडिया का आदमी,,, उसे देख के कोई भी कह सकता था की काफी देर से वो उन दोनों को डोहे वही खड़ा था। और कृषभ आखों से आग उगलते हुए सबको घूर रहा था क्योंकि कोई उसकी मदत को नही बढ़ा "हो गई तुम लोगो की चुगली मिशन कंप्लेंट,,,तो मेरे कंधो से थोड़ा बोझ हल्का कर दो वरना,,,," उसकी गुस्से भरी आवाज और धधकती आग उगलती आंखे देख