एपिसोड 15 : “परछाइयों का पुनर्जन्म” 1. रोशनी का निगलनाकक्ष में फैली चमक अब इतनी तेज़ हो चुकी थी कि राहुल की आँखें खुली रहकर भी अंधी-सी लगने लगीं।वह चिल्लाया —“यह क्या हो रहा है… किताब मुझसे क्या चाहती है?”उसके शब्द हवा में खो गए।एक पल में सब कुछ रुक गया — आवाज़ें, रोशनी, यहाँ तक कि उसकी धड़कन भी।और फिर एक अनजानी फुसफुसाहट उसके कानों में गूँजी —> “राहुल… अब तू सिर्फ़ इंसान नहीं रहा…”धीरे-धीरे उसके चारों ओर हवा घूमने लगी, और वह खुद को उसी तख़्त पर पड़ा पाया जहाँ किताब रखी थी।लेकिन अब किताब खुली नहीं