अधुरी खिताब - 17

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एपिसोड 17 : “राख के नीचे लिखा नाम”---️ 1. हवेली की राख से उठती हवारात और सुबह के बीच का वो समय था — जब हवा एकदम ठहरी हुई लगती है।दरभंगा की पुरानी हवेली अब बाहर से शांत थी, लेकिन उसके भीतर अब भी कुछ चल रहा था।रमाकांत ने जब आखिरी बार तख़्त के पास झाँका था, वहाँ बस राख थी।लेकिन अब, उस राख में हल्की-सी धुआँ सी लकीर उठ रही थी — जैसे कोई साँस ले रहा हो। “राउर ध्यान देनी? ई राख हिल रहल बा…”एक बूढ़े ने काँपती आवाज़ में कहा।रमाकांत ने माथे पर पसीना पोंछा।“ई तो