समाज से जुड़े हाइकु अवधेश कुमार चंसौलिया के प्रो. डॉ0 अवधेश कुमार चंसौलिया जी का हाइकु दर्पण मेरे सामने है। वे पाठकों से अपनी बात में कहते हैं’।आधुनिक युग में जब से आदमी मशीनयुग से जुड़ गया तब से उसके पास समय की कमी महसूस होने लगी तो पाठकों ने उपन्यास, कहानी, आत्मकथा एवं लम्बी कविताओं को पढ़ना बंद कर दिया। जापान जैसे देश में जहाँ आदमी दिन रात काम करता है उसके पास इतना समय नहीं है कि वह लम्बी कविताओं को पढ़ सके या सुन सके। इसलिये वहाँ कविता का अति सूक्ष्म स्वरूप हाइकु का जन्म हुआ।