ओस उम्मीदों की ओस से जिन्दगी का शज़र सजाये रखा हैं l साँसों का सफ़र पूरा करने को हौंसला बनाये रखा हैं l मुलाकात का वादा किया है तो अभी तक जारी है तो l इंतजार में बड़े अरमान से मेहंदी को हाथों में लगाये रखा हैं ll बड़ी खुशी और हर्षोल्लास के साथ सवेरे ही सवेरे l जानेमन के स्वागत को ओस का रचाये रखा हैं ll आस की टहनियाँ को पाल रखी है सीने में जिंदा l मिलन होगा दिल को खुशफहमी के साथ मनाये रखा हैं ll मशगूल मध्य रात्रि से सूर्योदय तक