श्रापयात्रा - 3

योग कक्षा का दृश्योग शिक्षा के समय, सभी शिष्य ध्यान में बैठे थे।तभी एक लड़का — नीर — चुपके से गुरु निरंजन की नकल करता है,और कुछ शिष्य हँसी में फूट पड़ते हैं।अग्नि, एक अन्य शिष्य, शांत और नियमित लड़का, उसे घूर कर देखता है...अग्नि (तेज़ आँखों से):“योग समय में ऐसा बचपना उचित नहीं।”नीर (मुस्कुराते हुए):“अरे तुम तो चुप ही रहो अग्नि! कभी मस्ती भी किया करो।तुम तो बस नियम नियम करते रहते हो, एक दिन गुरुदेव जैसे बन जाओगे!”अग्नि चुप रहता है... बस उसकी आँखों में दिशा हैतभी गुरु निरंजन कठोर स्वर में बोलते हैं:“योग में शांति होनी चाहिए,