राधे ..... प्रेम की अंगुठी दास्तां - 13

23 साल बाद..आज अपने ही शहर में फिर एक बार दोनों का सामना हो गया।देखते ही देव बोला ..कैसी हो राधे ?बहुत खुश हूं..बदले हुए सुर में बोली राधा ।ये तो बहुत अच्छी बात है सरल स्वभाव में बोला  देव ।और तुम ?तुमसे तो पूछने की जरूरत ही नहीं तुम तो खुश होगे ही ,सब कुछ तुम्हारी मर्जी से जो हुआ है।राधा ने एक सांस में प्रश्न भी कर लिया और उत्तर भी खुद ही दे दिया। देव  मुस्कुराते हुए कहता है -मै भी अच्छा हुं।और... तुम्हारा परिवार !!हां वो सब भी ठीक है।तुम्हारा बेटा..राधा  को बीच में ही टोकते हुए बोला देव--सारी