️ सत्रह बरस की तन्हा कहानीसत्रह बरस की उम्र, एक अजीब सी दहलीज़ होती है—जहाँ इंसान न तो पूरी तरह बच्चा होता है, न ही पूरी तरह बड़ा। यही उम्र है जब ख्वाब बड़े होते हैं, पर अकेलापन भी अक्सर साथ चलता है।मैं भी उस उम्र में थी। गाँव की एक लड़की, जिसकी दुनिया छोटी थी, लेकिन ख्वाब बहुत बड़े। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, माँ और पिता अपने रोज़मर्रा के संघर्ष में उलझे रहते। ऐसे में मेरा मन अक्सर अकेलापन महसूस करता। स्कूल में मैं पढ़ाई में अच्छी थी, पर दोस्तों की भीड़ में खुद को अलग