एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा - 28

वो आलिंगन सिर्फ़ आलिंगन नहीं था… वो उसकी बरसों की थकान, दर्द और ग़म का विस्फोट था। उसकी साँसें काँप रही थीं, दिल की धड़कन तेज़ थी, और आँखों से आँसू रुक ही नहीं रहे थे।प्राकृति पहले तो ठिठक गई… पर फिर उसके दिल ने विरोध नहीं किया। उल्टा, जैसे उसका दिल भी उसी पल पिघल गया हो। वह धीरे-धीरे रिध्दान के बालों में उंगलियाँ फिराने लगी, मानो कह रही हो— “अब सब ठीक हो जाएगा… मैं यहीं हूँ।”वो पल जादू सा था… वक्त जैसे ठहर गया। दोनों की धड़कनें एक लय में धड़क रही थीं। प्राकृति की आँखें नम