कुछ दिन बाद ...आज का दिन बहुत खास था। मगर रुशाली के लिए ये सुबह किसी और ही अंदाज़ में शुरू हुई।उसकी माँ कई बार कमरे में आकर कह चुकी थीं —माँ (धीरे से पर्दा हटाते हुए): "रुशाली... उठ जा बेटा। आज तेरा रिज़ल्ट भी आना है।"रुशाली (तकिये में मुँह दबाकर): "माँ... पाँच मिनट और सोने दो ना..."माँ हल्की हँसी के साथ चली गईं।तभी अचानक फोन की घंटी बजी। ट्रिन... ट्रिन...स्क्रीन पर नाम चमका — Dr. Akdu।बस नाम देखते ही नींद उड़ गई। उसने फटाफट फोन उठाया।रुशाली (जल्दी से): "हेलो सर..."मयूर सर (खुश होकर गुनगुनाते हुए): " हैप्पी बर्थडे टू