आकाश बिजली से चमक रहा था।काले बादल गरज रहे थे, आँधी–तूफ़ान का प्रकोप था।एक पुराने खंडहर के बीच एक तरफ़ आग भड़क रही थी,तो दूसरी तरफ़ पानी बह रहा था — जैसे प्रकृति के दो तत्व — अग्नि और नीर — एक दूसरे से टकरा रहे हों।लाल वस्त्र पहने एक युवा तलवार उठाए खड़ा था।उसका चेहरा कसक से भरा था, आँखों में दर्द था।उसने अपनी तलवार सीधा एक और युवा के पेट में घुसा दी —वह युवा नीला वस्त्र पहने था, उसका नाम था — नीर।अग्नि (काँपते हुए स्वर में):"मुझे माफ़ कर दो, नीर... मेरे पास सिर्फ़ एक ही रास्ता