विषैला इश्क - 32

( अतुल्य आद्या को बचाने आता है लेकिन पकड़ा जाता है। अतुल्य की जान बचाने के लिए वह खुद को विराट को सौंप देती है । और अतुल्य को वापस लौटने के लिए कहती हैं क्योकि विवाह को अब अपना भाग्य मान चुकी है। अब आगे)नाग विवाह — छल, शक्ति और विद्रोह वह पल आखिर आ ही गया, जिसे आद्या अब तक टालती आई थी। राजमहल के बीचों-बीच नागगुरु वेदपाठ कर रहे थे। महल दिव्य दीपों और नीले फूलों से सजा था, जैसे स्वर्ग उतर आया हो। कुछ नागकन्याएं आद्या को मंडप तक लेकर आईं —वह शाही नागिन-परिधान में थी,