वो बस एक गली थी

'वैश्या'... जानती हूं ये शब्द सुनके कितने ही सिहर गए होंगे ना। कुछ पक्ष में हो सकते है और कुछ अधिक विपक्ष में..। क्यूं..?क्यूंकि ये हमारे समाज का हिस्सा नहीं है.. है ना? लेकिन फिर हमारे की समाज के कर्मों की कृति कैसे हो गई ये..?सच है ना... हर एक औरत कभी भी वैश्या नहीं होती है लेकिन हर एक वैश्या औरत होती है... हमेशा । ईश्वर ने इंसान नाम के तोहफ़े से नवाजा था हमे... बंदिशों से बांध किसी को एक लड़की बना दिया गया और एक दौर बाद वो बना दी गई बहुत ही मजबूत दीवारों के भीतर