रात गहरी हो चुकी थी। अद्विक की आँखें नक्शे पर टिकी थीं, जहाँ “देवजु की आँख” का चिन्ह रहस्यमय रोशनी बिखेर रहा था। कमरे की लाइट बंद थी, बस वही नक्शा अँधेरे में चमक रहा था।उसने धीरे से फुसफुसाया—“देवजु की आँख… आखिर ये है क्या?”नीचे के कमरे से माँ की आवाज़ आई, “अद्विक! सो गया क्या?”वह घबरा कर बोला, “हाँ माँ, अभी सो रहा हूँ…” और जल्दी से नक्शा बैग में छुपा लिया। लेकिन नींद कहाँ आने वाली थी? उस चमकते चिन्ह ने उसकी आँखों में सवालों की आग लगा दी थी।अगली सुबह स्कूल में उसने राघव और अवनि को