क्या वह संजना को भी उसी नफरत की आग में झोंक सकता है?वह पलटा और फिर से खिड़की की ओर देखने लगा। अंदर, संजना अब भी वैसे ही सो रही थी, जैसे किसी दुनिया से बेखबर हो। वह सच में इस लड़ाई की दोषी नहीं थी। लेकिन वह मिस्टर कूपर की बेटी थी, और यही बात हर्षवर्धन के लिए सबसे बड़ी दीवार थी।उसने गहरी सांस ली और खुद को फिर से याद दिलाया—उसे अपना मकसद नहीं भूलना चाहिए।"मुझे जो करना है, वो करना ही होगा।"लेकिन उसके दिल के किसी कोने में अब भी एक सवाल सिर उठाए खड़ा था—अगर वह