Kurbaan Hua - Chapter 44

विराने में एक बंद घरहर्षवर्धन की कार घने अंधेरे में सड़क पर तेज़ी से दौड़ रही थी। चारों ओर वीरानी थी, ना कोई आबादी, ना रोशनी का कोई नामोनिशान। सड़क किनारे ऊँचे-ऊँचे पेड़ बारिश में भीग रहे थे, उनकी शाखाएँ हवा में झूल रही थीं। संजना कार की पिछली सीट पर चुपचाप बैठी थी, उसकी आँखों में डर और गुस्से का अजीब सा मिश्रण था।हर्षवर्धन ने एक निगाह पीछे डाली, संजना उसे घूर रही थी। वोबारिश की मार और विरान घरअचानक, आसमान में गड़गड़ाहट हुई और देखते ही देखते मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। बारिश इतनी तेज़ थी कि सड़क