विराने में एक बंद घरहर्षवर्धन की कार घने अंधेरे में सड़क पर तेज़ी से दौड़ रही थी। चारों ओर वीरानी थी, ना कोई आबादी, ना रोशनी का कोई नामोनिशान। सड़क किनारे ऊँचे-ऊँचे पेड़ बारिश में भीग रहे थे, उनकी शाखाएँ हवा में झूल रही थीं। संजना कार की पिछली सीट पर चुपचाप बैठी थी, उसकी आँखों में डर और गुस्से का अजीब सा मिश्रण था।हर्षवर्धन ने एक निगाह पीछे डाली, संजना उसे घूर रही थी। वोबारिश की मार और विरान घरअचानक, आसमान में गड़गड़ाहट हुई और देखते ही देखते मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। बारिश इतनी तेज़ थी कि सड़क