Kurbaan Hua - Chapter 43

रिश्तों का छलावादीवार पर लगी घड़ी की सुइयाँ जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थीं, वैसे-वैसे महेश चाचा का गुस्सा भी बढ़ता जा रहा था। वह अपने कमरे में बेचैनी से टहल रहे थे, और संध्या का चेहरा गुस्से से लाल था। अभी-अभी जो तमाशा नीचे हुआ था, उसने पूरे घर में हड़कंप मचा दिया था। नौकरानी, जो कल तक चुपचाप काम करती थी, आज इतनी बड़ी-बड़ी बातें कैसे करने लगी? कैसे हिम्मत हुई उसकी, संध्या को सबके सामने नीचा दिखाने की?"तुम्हें क्या ज़रूरत थी घर में तमाशा करने की?" महेश ने तेज़ आवाज़ में कहा। "देखा ना, कैसे सबके सामने तुम्हारी