शम्बूक वध और महाकवि भवभूति लेखक-श्री राम गोपाल भावुक सम्पादन—श्री दीपक कुमार गुप्ता वर्तमान युग में लेखक एक पौराणिक विषय़ पर चर्चा करता है वह राम को शम्बूक वध के कलंक से मुक्ति दिलाना चाहता है.। यही इस लेख का उद्देश्य है। लेखक ब्राम्हण बालक की मृत्यु से प्रारंभ करता है।,वर्णाश्रमधर्म के अनुसार बाल्मीकि रामायण में उल्लेखित प्रसंग है (बाल्मीकि रामायण उत्तर कांड ७३सर्ग दसवां श्लोक )मृत बालक का पिता बालक की असमय मृत्यु का दोष किसी शूद्र की तपस्या करने पर मढ़देता है।यह अधर्म है।राम वर्णाश्रम धर्म के रक्षक हैं ,उनके राज्य में अधर्म नहीं होना चाहिए