Saptansh - The Critical Mystery - 1

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रास्ते की हल्की ठंडी हवा अद्विक के चेहरे को छू रही थी। उसने बैग कसते हुए सोचा, “ठीक है, अब डरना नहीं। इसे समझना होगा।” घर पहुँचते ही माँ रसोई में व्यस्त थी और पापा अख़बार पढ़ रहे थे।“माँ… पापा…” अद्विक ने धीरे से कहा।माँ ने मुस्कुराते हुए पूछा, “क्या हुआ बेटा? अभी तक स्कूल का होमवर्क भी पूरा नहीं किया?”अद्विक ने हाथ जोड़कर कहा, “मुझे… मुझे कुछ अजीब हो रहा है। कभी-कभी मुझे लगता है कि जो कुछ मैं अभी देख रहा हूँ, वह पहले भी हो चुका है। जैसे अभी जो आम खा रहा हूँ, यह मैंने पहले