अनहोनी: दर की दस्तक

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गाँव के लोग कहते थे कि सबसे बड़ा डर वही है जिसका नाम लेने से ही रूह काँप जाए। उसी डर का नाम था अनहोनी। उसकी परछाईं उस पुराने किले पर मंडराती थी जो सदियों से वीरान खड़ा था। कहा जाता था कि उस किले के भीतर जो भी कदम रखता, उसके साथ कुछ ऐसा होता जिसे लोग इंसानी समझ से बाहर बताते।बरसात की एक रात, जब पूरा गाँव अंधेरे में डूबा था, चार चरवाहे शर्त लगाकर उस किले की ओर निकल पड़े। हवा में सड़ांध और गीली मिट्टी की गंध तैर रही थी। जैसे ही वे किले के फाटक पर पहुँचे,