प्रेमानंद जी : राधा-कृष्ण लीला के रसिक साधक - 5 (अंतिम भाग)

भाग 5-प्रेमानंद जी महाराज और उनके पाँच पांडव शिष्य : समर्पण की अद्भुत गाथा”वृन्दावन की पावन धरा पर जब भी किसी संत का नाम लिया जाता है, तो उनके साथ जुड़े शिष्यों की भी चर्चा स्वतः ही होने लगती है। जैसे श्रीकृष्ण के साथ सदा ग्वालबालों और गोपियों का नाम लिया जाता है, जैसे मीरा के साथ उनकी तानपुरे की झंकार की स्मृति रहती है, वैसे ही प्रेमानंद जी महाराज के साथ उनके पाँच अद्भुत शिष्य भी निरंतर जुड़ जाते हैं। इन्हें ही लोग प्रेमपूर्वक “पाँच पांडव” कहते हैं।यह पाँचों शिष्य जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों से आए, किसी ने नौकरी