जादुई पानी

जादुई पानी गाँव का नाम था नारायणीपुर — खेतों की हरी चादर, मल्लाहों के बोले-गाने, और एक पुराना तालाब जो पूरे गाँव की पहचान था। तालाब के किनारे पेड़ों की साया, शाम की ठंडी हवा और बचपन की डुबकी—सब के सब यादें थीं। पर उसी तालाब के पीछे एक अजीब सा किस्सा भी जुड़ा हुआ था: बूढ़े कहते थे कि बरसात के मौसम में जब पानी गहरा और काला हो जाता है, तो वह ऐसा बदल जाता है कि लोग उसे 'शैतानी पानी' कहने लगे थे।नीलम तब अपने शहर की नौकरी छोड़कर लौट आई। दस साल बाद पहली बार वह अपने