सप्तांश - The Deja Vu

सुबह की हल्की धूप कमरे में फैल रही थी। अद्विक रसोई में बैठा था, हाथ में ताजा कटे आम के टुकड़े थे। उसने पहला टुकड़ा मुँह में डाला—और अचानक उसके मन में एक अजीब सा अहसास दौड़ गया।“ये… ये तो मैंने पहले भी खाया है,” उसने धीरे से कहा।हवा की हल्की सरसराहट, सूरज की रोशनी, आम का मीठा स्वाद—सब कुछ उसे पहले की तरह महसूस हुआ। अद्विक ने पल भर अपने हाथों को टुकड़ों पर टिका कर देखा, मानो यह वास्तविकता की जाँच कर रहा हो।माँ ने मुस्कुराते हुए कहा,“अद्विक, तुझसे बड़ी गंभीरता वाला चेहरा पहले भी देखा है—शायद आम