(चौबे अपनी बेटी मुस्कान पर सख्त अनुशासन थोपता है, लेकिन बेफिक्र मुस्कान अपनी दुनिया में जीती है। कॉलेज में उसे कपड़ों और रूप-रंग के लिए ताने सुनने पड़ते हैं, फिर भी वह चुटीले अंदाज़ से सबको जवाब देती है। सहेलियाँ उसे बॉयफ्रेंड न होने पर चिढ़ाती हैं, पर मुस्कान अपने अकेलेपन को किताबों और खाने में छिपा लेती है। उसके मन में सवाल है कि क्या कोई उसे वैसे ही चाहेगा जैसी वह है—बिना दिखावे और बनावट के। कहानी एक ऐसी लड़की की है जो समाज और पिता की अपेक्षाओं के बीच अपनी असली पहचान और सच्चे प्रेम की तलाश