विवेक के सामने एक शर्त....अब आगे..............चेताक्क्षी अमोघनाथ जी से कहती हैं....." बाबा , अब तो केवल आदिराज काका की चिता भस्मी ही उस गामाक्ष की क्रिया को रोक सकती है......"अमोघनाथ जी निराशा भरी आवाज में कहते हैं....." नहीं चेताक्क्षी , ऐसा संभव नहीं है , आदिराज जी की भस्मी हमने प्रवाहित कर दी , ...."चेताक्क्षी हैरानी से कहती हैं...." बाबा आपने ये क्यूं किया , आप अच्छे से जानते थे , आदिराज काका एक दिव्य पुरुष थे तो उनकी भस्मी भी हमारे कितने काम आती , आपसे ये उम्मीद नहीं थी बाबा....." उधर विवेक उस बौने के प्रदेश में फंस चुका