chapter 57नफरत है मुझे उससे नफरत बेइंतहा नफरत करता हूं।वनराज की आखिरी लाइन सुनकर शिवाय के तन बदन में आग लगता है, जिसकी वजह से शिवाय अपने दिल की बात जुबां पर लता है।।शिवाय की बात सुनकर वनराज दांग रहता है। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह आगे क्या बोले क्योंकि शिवाय ने जो इतना बड़ा बम उसके सिर पर थोड़ा था उसे बाहर निकालने के लिए उसे कुछ समय तो लगाना ही था।अब आगे वनराज शिवाय की बातों को, सुनकर सुन रह जाता है लेकिन वह जल्दी अपने होश में आकर शिवाय को कंफ्यूजन बट रूट टोन में