सुबह की किरणें कमरे में फैल चुकी थीं। लगभग 45-46 का चौबे, पहलवान जैसा गठीला शरीर लिए, आँगन में कसरत कर रहा था। उसकी भारी आवाज़ गूँजी—“नीचे आ जा और कसरत कर, वरना नाश्ता नहीं मिलेगा!”बिस्तर में पड़ी अठारह-उन्नीस साल की मुस्कान ने करवट बदली और गहरी नींद में डूबे रहने का नाटक किया। चौबे ने जब देखा कि वह नीचे नहीं आई, तो चौबे को बहुत गुस्सा से लाल हो गया और गुस्से में ऊपर पहुँचा और एक बाल्टी पानी मुस्कान पर उँड़ेल दिया।मुस्कान चीख पड़ी—“ यह क्या कर रहे हो?"चौबे ने एक सांस में कहा "कसरत करना..'' तभी