अधूरा सच - 5

अध्याय 5 : मृतक की डायरीरात का सन्नाटा पूरे हॉस्टल को अपने आगोश में ले चुका था। बाहर पेड़ों की डालियाँ हवा से टकराकर कराहने जैसी आवाज़ कर रही थीं। कमरे की खिड़की से झाँकती पीली स्ट्रीट लाइट की धुंधली रोशनी, आरव के भीतर के डर और बेचैनी को और गहरा कर रही थी।दिन भर की थकान के बावजूद उसकी आँखों में नींद नहीं थी। दिमाग बार-बार उसी पुराने बंद पड़े कमरे की ओर जा रहा था, जहाँ से उसे डायरी के होने का सुराग मिला था। उसकी छाती धड़क रही थी—कुछ ऐसा जिसे वो समझ नहीं पा रहा