दिन–1 (सुबह 6:00 बजे)आज घर से ड्यूटी के लिए निकलते वक्त मन भारी था। पहले ही सूचना मिल गई थी कि कम से कम 48 घंटे से ज़्यादा समय बाहर रहना होगा। पत्नी और बच्चों की नज़रों में चिंता थी। बैग उठाया, ज़रूरी सामान डाला और स्टेशन पहुँच गया। इंजन पर चढ़ते ही रोज़ का साथी सा महसूस हुआ, पर मौसम ने शुरुआत से ही मुश्किलें खड़ी कर दीं। आसमान में घने बादल थे, तेज़ बारिश हो रही थी और विज़िबिलिटी बेहद कम थी। सामने का सिग्नल भी धुँध में बमुश्किल दिख रहा था।दिन–1 (दोपहर 12:00 बजे)लगातार रनिंग के बीच