तेरा मेरा सफ़र - 3

संध्या का समय था, हल्की ठंडी हवा और समंदर की लहरों की आवाज़ हर ओर फैली हुई थी। कियारा कॉन्फ़्रेंस के बाद थोड़ी थकी हुई थी, लेकिन मन में हल्की उत्सुकता लिए पास के बीच पर आई। रेत पर चलती उसकी नज़रें लहरों की चमक और दूर तैरते बच्चों पर टिक गईं। समंदर की ठंडी हवा उसे हमेशा से सुकून देती थी, जैसे सारी थकान बहा दी गई हो।“अरे, ये यहाँ?” कियारा की आँखें उठीं और उसने देखा कि आदित्य पहले से वहाँ खड़ा था। हाथ में पानी की बोतल, चेहरे पर हल्की मुस्कान और नज़रें बिल्कुल सहज।(क्योंकि आदित्य ने