---Chapter 1 – नकली शुरुआत “तुम सच में ये करने जा रही हो?” रिद्धि ने हल्की चिंता भरी आवाज़ में पूछा। उसकी भूरी आँखों में डर और दोस्ती का मिश्रण था।सानवी ने गहरी साँस ली, और हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया,“हां… बस ये एक महीना है। सब ठीक हो जाएगा। और हाँ, रिद्धि, डरने की कोई बात नहीं। मैं संभाल लूंगी।”सानवी का चेहरा मासूमियत और आत्मविश्वास का मिश्रण था। उसकी छोटी-छोटी मुस्कानें, उसकी आँखों की चमक और उसका सच्चाई से भरा व्यवहार—सब कुछ उसे बाकी लोगों से अलग बनाता था। ज़िंदगी में रोमांस और ड्रामा सिर्फ़ किताबों तक ही सीमित