ज्ञान की खोज

अथर्व की आँखें जैसे ही खुलीं, उसने सबसे पहले पेडों की हरी छतरी देखी. ऊपर से आती धूप की किरणें पत्तों के बीच से छनकर उसके चेहरे पर पड रही थीं. रात उसने आग की गर्मी और नदी के ठंडे पानी के सहारे किसी तरह काटी थी. हाँ, वो जिंदा था, लेकिन सवाल अब भी वही था, आगे क्या? उसने मन ही मन कहा, ठीक है, दोस्त, science की किताबें तो बहुत पढ लीं, lab में भी काम कर लिया, लेकिन अब यह असली जंगल है. यहाँ कोई Wi- Fi नहीं, कोई Google नहीं, सिर्फ तू और यह अनजान दुनिया।धीरे