रात की ठंडी हवा उसके चेहरे पर लगातार थपकियाँ दे रही थी, जैसे कह रही हो“ बेटा, अब असली परीक्षा शुरू हुई। दिन में यही जंगल उसे किसी जादुई सपनों की दुनिया जैसा लगा था, रंग- बिरंगे पेड, चमकते हुए कीडे, नीली और बैंगनी पत्तियाँ, लेकिन जैसे ही सूरज ढला और चारों ओर अंधेरा छा गया, वही जंगल अब किसी रहस्यमयी भूल भुलैया जैसा लग रहा था. हवा में एक अलग ही कंपन था, जैसे कहीं छिपकर कोई ताकत उसे देख रही हो.अथर्व का पेट बुरी तरह मरोड रहा था. भूख लगने लगी थी, और सच कहें तो उसने दिल्ली