प्रथा : एक ज़िन्दगी, कई इम्तेहान - 3

एपिसोड 3 : दोस्ती की शुरुआतअस्पताल की रफ़्तार हमेशा तेज़ रहती थी। सुबह से ही मरीजों की भीड़, prescriptions की लंबी लिस्ट और दवाइयों का हिसाब… अर्जुन का पूरा दिन इन्हीं सब में निकल जाता था। मगर फिर भी, जब भी उसे पाँच-दस मिनट का वक्त मिलता, वह कैंटीन की ओर निकल पड़ता।शुरू में तो वह सिर्फ़ चाय पीने आता था, लेकिन धीरे-धीरे उसे अपनी नज़रें प्रथा की ओर जाती हुई मिलतीं।प्रथा भी अब थोड़ी सहज हो गई थी। पहले जितनी चुप-चुप रहती थी, अब कभी हल्की सी मुस्कान दे देती, कभी casually पूछ लेती—“आज फिर बहुत भीड़ थी क्या