वो जो मेरा था - 18

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"वो जो मेरा था..." एपिसोड – 18---रात का अंधेरा अभी पूरी तरह छंटा भी नहीं था कि फार्महाउस के बाहर फिर हलचल शुरू हो गई। हल्की-हल्की बूँदाबाँदी हो रही थी, बादल गरज रहे थे और हर गड़गड़ाहट मानो किसी अनहोनी का संकेत दे रही थी।काव्या की आँखें नींद से बोझिल थीं लेकिन जैसे ही उसने दरवाज़े के पास हल्की-सी आहट सुनी, उसका दिल धक से रह गया। उसने धीरे से बच्ची को बिस्तर पर सुलाया और बाहर झाँका। आरव पहले से ही चौकन्ना खड़ा था।काव्या (धीरे से): "फिर से वही लोग?"आरव की नज़रें तेज़ थीं।आरव: "हाँ… लेकिन इस बार