वो लाइब्रेरी और मेरी यादें

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वो लाइब्रेरी और मेरी यादें ️ लेखक – विजय शर्मा एरी---प्रस्तावनाकहा जाता है कि किताबें मनुष्य की सबसे सच्ची साथी होती हैं। वह धोखा नहीं देतीं, वह शिकायत नहीं करतीं और समय के साथ–साथ और गहरी मित्र बन जाती हैं। मेरी ज़िंदगी में भी एक ऐसी जगह रही है, जिसने मुझे किताबों की दुनिया से, ज्ञान की रोशनी से और अपनी पहचान से मिलवाया। वह जगह है—शहर की सार्वजनिक लाइब्रेरी।आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ तो लगता है मानो मेरी आधी ज़िंदगी उन्हीं लकड़ी की अलमारियों के बीच बीती हो, जिनमें हज़ारों किताबें सजी रहती थीं। वही लाइब्रेरी मेरी यादों