मैं आदिब्रह्मा हूँ।मैं ही समस्त संसार का उत्पातिक हूँ।मैं ही चारों ओर और मैं ही आचार हूँ।मैं ही आत्मा और मैं ही परमात्मा हूँ।मैं ही मनु, और मैं ही असुर, और दानव हूँ, तथा मैं ही अंधकार और प्रकाश हूँ।मुझसे ही यह संसार है, मुझसे ही प्रेम और तृष्णा हैं।मैंने स्वर्ग तथा नरक की रचना की है।मैंने ग्रह और इस संसार के अनगिनत रूप बनाए हैं।तथा इस संसार में जो कुछ भी है, वह मैं हूँ।जो नहीं है, वह भी मैं हूँ।और जो होगा, वह भी मैं हूँ।संसार की उत्पत्ति मुझसे हुई। मुझसे ही देव, दानव, असुर, सूर, मनुष्य, अच्छाई